यह कथा वैसे तो सभी की सुनी होगी, लेकिन महाभारत में यह मूल कथा थोड़े अंतर से है।
इस मूल कथा का आनंद लें।
अपबे विचार अवश्य रखें।
यह कथा वैसे तो सभी की सुनी होगी, लेकिन महाभारत में यह मूल कथा थोड़े अंतर से है।
इस मूल कथा का आनंद लें।
अपबे विचार अवश्य रखें।
सम्मानित मित्रो,
नागकन्या जरत्कारु नागराज वासुकी की बहन थी। नागों के मिले शाप से मुक्ति उसके पुत्र द्वारा ही संभव थी। किस प्रकार उसने नागों की सहायता हेतु अपना बलिदान दिया, यह इस कथा में वर्णित है। एक अनूठी कथा का आनंद लें। इसे सुनने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें।
एक प्रेरक कथा, जो किसी को भी अपने कर्म हेतु प्रेरित कर सकती है।
महाभारत की कथा - धारावाहिक दो - राजकुमारी विशेषांक - कथा ग्यारह
कथा - विदुला का उद्बोधन
लेखन, संगीत एवं स्वर - विश्वजीत ‘सपन’
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